Prakash Ka Pravartan | प्रकाश का परावर्तन के नियम, परिभाषा

प्रकाश का परावर्तन (Prakash Ka Pravartan) – इस लेख में हम प्रकाश का परावर्तन (Prakash Ka Pravartan) के नियम को जानने वाले है। इसमें हम पढ़ेंगे प्रकाश का परावर्तन क्या है?, प्रकाश का परावर्तन के नियम, प्रकाश का परावर्तन का उदाहरण, प्रकाश का परावर्तन और अपवर्तन इत्यादि जानकारी हम पढ़ेंगे इस लेख के माध्यम से तो कृपया आप हमारे इस लेख को अंत तक पढ़े। 

Prakash Ka Pravartan

प्रकाश का परावर्तन के परिभाषा – Prakash Ka Pravartan 

जब प्रकाश की किरण किसी वस्तु जैसे दर्पण से परावर्तित होकर वापस उसी माध्यम में लौट आती है। उसे प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light) कहते है। आसान शब्दों में समझे तो जब किसी प्रकाश के किरण किसी दर्पण “यानि शीशा जो हमें दैनिक जीवन में उपयोग करते है।” से टकराती है तो वह वापस उसी दिशा में चली जाती है जिस तरफ से प्रकाश आया था। इसे ही हम प्रकाश का परावर्तन कहते है।

प्रकाश का परावर्तन का उदाहरण 

  • जब हम किसी कांच या शीशा को सूर्य की प्रकाश के तरफ करते है तो सूर्य की प्रकाश वापस उसी मध्यम में लौट जाता है।
  • जब हम किसी कांच या शीशा को घरों में बिजली से जलने वाले बल्ब के तरफ करते है तो बल्ब की प्रकाश वापस उसी मध्यम में लौट जाता है।

प्रकाश परावर्तन के नियम – Prakash Ka Pravartan ke Niyam

जब प्रकाश की किरण किसी चिकना स्तर वस्तु से परावर्तित होती है। तब वे दो नियम का पालन करती है। जिसे परावर्तन के नियम कहते है। प्रकाश परावर्तन के दो नियम होते हैं।

  1. आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर खींचा गया अभिलम्ब तीनों एक ही तल में होता हैं।
  2. परावर्तन कोण तथा अपवर्तन कोण हमेसा आपस में बराबर होते हैं।

परावर्तन के नियम गोलीय पृष्ठों के साथ साथ सभी प्रकार के परावर्तक पृष्ठों के लिए लागु होता है।

गोलीय दर्पण क्या है?

ऐसे दर्पण जिनका परावर्तक पृष्ठ गोल होता है। उसे गोलीय दर्पण कहते है। गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ अंदर या बहार की और वक्रीत हो सकता है। गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते है। 

अवतल दर्पण – वैसा गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ अंदर की ओर यानि गोले की केंद्र की ओर वक्रीत होता है। उसे अवतल दर्पण कहते है।  

उत्तल दर्पण – वैसा गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ बहार की ओर यानि गोले के बहार की ओर वक्रीत होता है। उसे उत्तल दर्पण कहते है।

गोलिय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ के केंद्र को दर्पण का ध्रुव कहते है। ये दर्पण के पृष्ठ पर स्थित होता है जिसे P द्वारा सूचित किया जाता है। गोलिय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ एक गोले का भाग है। इस गोले का केंद्र गोलीय दर्पण का वक्रता केंद्र कहलाता है। वक्रता केंद्र को C द्वारा सूचित किया जाता है। 

अवतल दर्पण एवं उत्तल दर्पण का उपयोग

अवतल दर्पण का उपयोग – अवतल दर्पण का उपयोग टॉर्च, गाड़ियों के हेड लाईट, सर्च लाईट तथा सेविंग दर्पण, दंत चिकित्सक द्वारा दातो को बड़ा देखने के लिए अवतल दर्पण का ही उपयोग करते है। इत्यादि में किया जाता है। 

उत्तल दर्पण का उपयोग – उत्तल दर्पण का उपयोग गाड़ियों के साइड मिरर में, स्ट्रीट लाइट, धूप के चश्मे इत्यादि में किया जाता है।

प्रकाश का पुर्ण आंतरिक परावर्तन क्या है?

जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम से विरल माध्यम में जाती है तब इसका कुछ भाग परावर्तित होकर वापस लौट आती है। इस तरह प्रकाश की किरण को पुनः वापस लौटना पुर्ण आंतरिक परावर्तन कहलाता है। कुछ भाग परावर्तित होकर वापस लौटने से आपतन कोण, परावर्तन कोण से कम हो जाता है।

इस स्थिति में आपतन कोण को बढ़ाया जाए तो परावर्तन कोण भी बढ़ जाता है। एक समय ऐसा आता है जब परावर्तन कोण का मान 90° हो जाता है। ऐसे में बने आपतन कोण को क्रांतिक कोण कहते हैं। 

पूर्ण आंतरिक परावर्तन के उदाहरण 

वैसे तो पूर्ण आंतरिक परावर्तन के अनेक उदाहरण हैं जिसे हम अपने दैनिक जीवन में देखते हैं। निचे कुछ उदाहरण दी गई है जीसे आप देख कर समझ सकते है।

  • हिरा का चमकना
  • पानी में डुबी परखनली का चमकीला दिखाई देना।
  • कांच का टुटा हुआ भाग चमकीला दिखाई देना।
  • रेगिस्तान और ठण्डे देशों में मरीचिका दिखाई देती है।
  • पानी में बनने वाले बुलबुले चमकीला दिखाई देना। इत्यादि पूर्ण आंतरिक परावर्तन के उदाहरण है।

प्रकाश का पुर्ण आंतरिक परावर्तन के नियम

पूर्ण आंतरिक परावर्तन की दो नियम है। यह नियम तभी लागु होता जब पूर्ण आंतरिक परावर्तन की घटना घटित होती है।

  • प्रकाश, सघन माध्यम से विरल माध्यम की ओर प्रवेश करती है।
  • आपतन कोण का मान क्रांतिक कोण से अधिक हो जाता है।

प्रकाश का परावर्तन और अपवर्तन में अंतर क्या है?

प्रकाश का परावर्तन – इसमें जब प्रकाश की किरण किसी सतह से टकराती है और टकराने के बाद वापस उसी मध्यम में आ जाती है जिसे हम प्रकाश का परावर्तन कहते है। इसमें प्रकाश सतह से टकराने के बाद वापस उसी दिशा में चला जाता है जंहा से वे आया था।

प्रकाश का अपवर्तन – जब प्रकाश की किरण एक मध्यम से दूसरे मध्यम में प्रवेश करती है तो प्रकाश की किरण अपने मार्ग को बदल लेती है। जिसे हम प्रकाश का अपवर्तन कहते है। इसमें प्रकाश की चाल और दिशा दोनों बदल जाता है।

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Conclusion – Prakash Ka Pravartan

प्रकाश का परावर्तन (Prakash Ka Pravartan) – हमें उम्मीद है की StudentExam.in के माध्यम से दी गई प्रकाश का परावर्तन (Prakash Ka Pravartan) के बारे में जानकारी आपको पसंद आई होगी। हमने इस लेख के माध्यम से प्रकाश का परावर्तन (Prakash Ka Pravartan) से जुड़ी सभी तरह की जानकारी आपके साथ शेयर की है। जिसे आप आसानी से पढ़ कर समझ सकते है। आप हमें Facebook पर फॉलो भी कर सकते है। 

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