About Fundamental Rights in Hindi
Fundamental Rights जिसको हिंदी में हम लोग मौलिक अधिकार कहते हैं। तो आज हम लोग Fundamental Rights यानी मौलिक अधिकार के बारे में जानेंगे।
मौलिक अधिकार क्या हैं? (What is Fundamental Rights)
भारतीय संविधान के तीसरे भाग में वर्णित भारत के नागरिक के लिए प्रदान किए गए वे अधिकार हैं। जो सामान्य स्थिति में सरकार द्वारा सीमित नहीं किए जा सकते हैं। और इनकी सुरक्षा का प्रहरी सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court) है। ये अधिकार सभी भारत के नागरिकों नागरिक स्वतंत्रता प्रदान करते हैं जैसे सभी भारत के लोग, भारतीय नागरिक के रूप में शान्ति के साथ समान रूप से जीवन व्यापन कर सकते हैं।
मूल संविधान में सात मौलिक अधिकार थे लेकिन अब छे हैं
मूल संविधान में सात मौलिक अधिकार थे, लेकिन 44 वें संविधान संशोधन (1979 ई०) के द्वारा संपत्ति का अधिकार को मौलिक अधिकार की सूची से हटाकर इसे संविधान के अनुच्छेद 300 (a) के अन्तगर्त क़ानूनी अधिकार के रूप में रखा गया है।
भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) कुछ इस प्रकार हैं।
- समता या समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से अनुच्छेद 18)
- स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 19 से 22)
- शोषण के विरुद्ध अधिकार (अनुच्छेद 23 से 24)
- धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (अनुच्छेद 25 से 28)
- संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार (अनुच्छेद 29 से 30)
- संवैधानिक अधिकार (अनुच्छेद 32)
समता या समानता का अधिकार अनुच्छेद (Article) 14 से अनुच्छेद (Article) 18
अनुच्छेद (Article) 14:- विधि के समक्ष समता- इसका अर्थ यह है कि राज्य सही व्यक्तियों के लिए एक समान कानून बनाएगा तथा उन पर एक समान ढंग से उन्हें लागू करेगा
अनुच्छेद (Article) 15:- धर्म, नस्ल, जाति, लिंग या जन्म-स्थान के आधार पर भेद-भाव का निषेद- राज्य के द्वारा धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग एवं जन्म-स्थान आदि के आधार पर नागरिकों के प्रति जीवन के किसी भी क्षेत्र में भेदभाव नहीं किया जाएगा.
अनुच्छेद (Article) 16:- लोक नियोजन के विषय में अवसर की समता- राज्य के अधीन किसी पद पर नियोजन या नियुक्ति से संबंधित विषयों में सभी नागरिकों के लिए अवसर की समानता होगी। अपवाद- अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं पिछड़ा वर्ग.
अनुच्छेद (Article) 17:- अस्पृश्यता का अंत- अस्पृश्यता के उन्मूलन के लिए इससे दंडनीय अपराध घोषित किया गया है।
अनुच्छेद (Article) 18:- उपाधियों का अंत- सेना या विधा संबंधी सम्मान के सिवाए अन्य कोई भी उपाधि राज्य द्वारा प्रदान नहीं की जाएगी. भारत का कोई नागरिक किसी अन्य देश से बिना राष्ट्रपति की आज्ञा के कोई उपाधि स्वीकार नहीं कर सकता है.
स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद (Article) 19 से 22
अनुच्छेद 19:- मूल संविधान में 7 तरह की स्वतंत्रता का उल्लेख था लेकिन अब सिर्फ 6 हैं।
अनुच्छेद (Article)19 (a):- बोलने की स्वतंत्रता।
नोट: प्रेस की स्वतंत्रता का वर्णन अनुच्छेद 19 (a) में ही है।
अनुच्छेद (Article) 19 (b):- शांतिपूर्वक बिना हथियारों के एकत्रित होने और सभा करने की स्वतंत्रता।
अनुच्छेद (Article) 19 (c):- संघ बनाने की स्वतंत्रता।
अनुच्छेद (Article) 19 (d):- देश के किसी भी क्षेत्र में आवागमन की स्वतंत्रता।
अनुच्छेद (Article) 19 (e):- देश के किसी भी क्षेत्र में निवास करने और बसने की स्वतंत्रता। (अपवाद जम्मू-कश्मीर)
अनुच्छेद (Article) 19 (f):- संपत्ति का अधिकार।
अनुच्छेद (Article) 19 (g):- कोई भी व्यापार एवं जीविका चलाने की स्वतंत्रता।
अनुच्छेद (Article) 20:- अपराधों के लिए दोष-सिद्धि के संबंध में संरक्षण।
इसके तहत तीन प्रकार की स्वतंत्रता का वर्णन है
(1) किसी भी व्यक्ति को एक अपराध के लिए सिर्फ एक बार सजा मिलेगी।
(2) अपराध करने के समय जो कानून है इसी के तहत सजा मिलेगी न कि पहले और और बाद में बनने वाले कानून के तहत।
(3) किसी भी व्यक्ति को स्वयं के विरुद्ध न्यायालय में गवाही देने के लिय बाध्य नहीं किया जाएगा।
अनुच्छेद (Article) 21:- प्राण एवं दैहिक स्वतंत्रता का सरंक्षण: किसी भी व्यक्ति को विधि द्वारा स्थापित प्रकिया के अतिरिक्त उसके जीवन और वैयक्तिक स्वतंत्रता के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।
अनुच्छेद (Article) 21 (क):- राज्य 6 से 14 वर्ष के आयु के समस्त बच्चों को ऐसे ढंग से जैसा कि राज्य, विधि द्वारा अवधारित करें, निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कर कराएगा। (86वां संशोधन 2002 के द्वारा)
अनुच्छेद (Article) 22:- कुछ दशाओं में गिरफ़्तारी और निरोध में संरक्षण। अगर किसी भी व्यक्ति को मनमाने ढंग से हिरासत में ले लिया गया हो, तो उसे तीन प्रकार प्रकार की स्वतंत्रता प्रदान की गई है।
(1) हिरासत में लेने का कारण बताना होगा।
(2) 24 घंटे के अंदर (आने जाने के समय को छोड़कर) उसे दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया जाएगा।
(3) उसे अपने पसंद के वकील से सलाह लेने का अधिकार होगा।
निवारक निरोध:- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 22 के खंड- 3, 4 ,5 तथा 6 में तत्संबंधी प्रावधानों का उल्लेख है। निवारक निरोध कानून के अन्तर्गत किसी व्यक्ति को अपराध करने के पूर्व ही गिरफ्तार किया जाता है। निवारक निरोध का उद्देश्य व्यक्ति को अपराध के लिए दंड देना नहीं।
बल्कि उसे अपराध करने से रोकना है। वस्तुतः यह निवारक निरोध राज्य की सुरक्षा लोक व्यवस्था बनाए रखने या भारत संबंधी कारणों से हो सकता हैं। जब किसी व्यक्ति निवारक निरोध की किसी विधि के अधीन गिरफ्तार किया जाता है, तब:-
(1) सरकार ऐसे व्यक्ति को केवल 3 महीने तक जेल में रख सकती है. अगर गिरफ्तार व्यक्ति को तीन महीने से अधिक समय के लिए जेल में रखना हो, तो इसके लिए सलाहकार बोर्ड का प्रतिवेदन प्राप्त करना पड़ता है।
(2) इस प्रकार निरुद्ध व्यक्ति को यथाशीघ्र निरोध आधार पर सूचित किए जाएगा, लेकिन जिन लेकिन जिन तथ्यों को निरस्त करना लोकहित के विरुद्ध समझा जाएगा उन्हें प्रकट करना आवश्यक नहीं है.
(3) निरुद्ध व्यक्ति को निरोध आदेश के विरुद्ध अभ्यावेदन करने के लिए शीघ्रातिशीघ्र अवसर दिया जाना चाहिए.
शोषण के विरुद्ध अधिकार अनुच्छेद (Article) 23 से 24
अनुच्छेद (Article) 23:- मानव के दुर्व्यापार और बलात श्रम का प्रतिषेध : इसके द्वारा किसी व्यक्ति की खरीद बिक्री , बेगारी तथा इसी प्रकार का अन्य जबरदस्ती लिया हुआ श्रम निषिद्ध ठहराया गया है , जिसका उल्लंघन विधि के अनुसार दंडनीय अपराध है।
अनुच्छेद (Article) 24:- बालकों के नियोजन का प्रतिषेध : 14 वर्ष से कम आयु वाले किसी बच्चे को कारखानों , खानों या अन्य किसी जोखिम भरे काम पर नियुक्त नहीं किया जा सकता है।
धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार अनुच्छेद (Article) 25 से 28
अनुच्छेद (Article) 25:- अंत: करण की और धर्म को अबाध रूप से मानने , आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता:- कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म को मान सकता है और उसका प्रचार – प्रसार भी कर सकता है।
अनुच्छेद (Article) 26:- धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता : व्यक्ति को अपने धर्म के लिए संस्थाओं की स्थापना व पोषण करने , विधि – सम्मत सम्पत्ति के अर्जन , स्वामित्व व प्रशासन का अधिकार हैं।
अनुच्छेद (Article) 27:– राज्य किसी भी व्यक्ति को ऐसे कर देने के लिए बाध्य नहीं कर सकता है, जिसकी आय किसी विशेष धर्म अथवा धार्मिक संप्रदाय की उन्नति या पोषण में व्यय करने के लिए विशेष रूप से निश्चित कर दी गई है।
अनुच्छेद (Article) 28:- राज्य विधि से पूर्णतः पोषित किसी शिक्षा संस्था में धार्मिक शिक्षा नहीं दी जाएगी। ऐसे शिक्षण संस्थान अपने विद्यार्थियों को किसी धार्मिक अनुष्ठान में भाग लेने या किसी धर्मोपदेश को बलात सुनने हेतु बाध्य नहीं कर सकते।
संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार अनुच्छेद (Article) 29 से 30
अनुच्छेद (Article) 29:- अल्पसंख्यक हितों का संरक्षण कोई अल्पसंख्यक वर्ग अपनी भाषा, लिपि और संस्कृति को सुरक्षित रख सकता है और केवल भाषा, जाति, धर्म और संस्कृति के आधार पर उसे किसी भी सरकारी शैक्षिक संस्था में प्रवेश से नहीं रोका जाएगा।
अनुच्छेद (Article) 30:- शिक्षा संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्गों का अधिकार:- कोई भी अल्पसंख्यक वर्ग अपनी पसंद की शैक्षणिक संस्था चला सकता है और सरकार उसे अनुदान देने में किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करेगी।
संवैधानिक अधिकार अनुच्छेद (Article) 32
अनुच्छेद (Article) 32:- इसके तहत मौलिक अधिकारों को प्रवर्तित कराने के लिए समुचित कार्यवाहियों द्वारा उच्चतम न्यायालय में आवेदन करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
इस सन्दर्भ में सर्वोच्च न्यायालय को पांच तरह के रिट निकालने की शक्ति प्रदान की गई है जो ये है।
1- बंदी प्रत्यक्षीकरण
2- परमादेश
3- प्रतिषेध लेख
4- उत्प्रेषण
5- अधिकार पृच्छा लेख
भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण जानकारी।
- इसे संयुक्त राज्य अमेरिका के संविधान से लिया गया है।
- इसका वर्णन संविधान के भाग-3 में अनुच्छेद (Article) 12 से अनुच्छेद (Article) 35 है।
- इसमें संशोधन हो सकता है और राष्ट्रीय आपात के दौरान अनुच्छेद (Article) 352 जीवन एवं व्यकितिगत स्वतंत्रता के अधिकार को छोड़कर अन्य मौलिक अधिकारों को स्थगित किया किया जा सकता है।
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